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👉 सौ साल से भी अधिक समय से चैती मेले का मुख्य आकर्षण
👉 स्वाद के शौकीनों को रहता है पूरे साल इंतजार
👉साबरी होटल के शकूर कारीगर का परिवार चार पीढ़ियों से मेले में हलवा-पराठा का दे रहा स्वाद
काशीपुर । (विकास गुप्ता) ऐतिहासिक मां बाल सुंदरी चैती मेला की शान हलवा-पराठा है। लोग इसके स्वाद के दीवाने हैं। मेले में घूमने आने वाले लोग जहां इसका स्वाद चखते हैं, वहीं अपने परिजनों के लिए घर लेकर जाते हैं। पराठे की खासियत इसका खस्तापन होता है। चैती मेले का यह मशहूर व्यंजन करीब 120 साल से मेले की शान बढ़ा रहा है। जहां पहले मेले में करीब 50 हलवा पराठा की दुकानें लगती आज गिनी-चुनी ही दुकानें मेले में लगती हैं।
मेरठ के नौचंदी मेले से काशीपुर के चैती मेले तक का यह सफर खासा रोचक है। पंडा परिवार के विकास अग्निहोत्री बताते है कि मेले में कई हलवा-पराठा दुकानदार ऐसे हैं जो तीन-चार पीढ़ियों से इसकी दुकान लगा रहे हैं। वह बताते है कि इन सबमें सबसे पुराना परिवार शकूर का है। साबरी होटल के नाम से करीब 122 वर्ष से यह चैती मेले में आ रहे है। वर्तमान में इनकी चौथी पीढ़ी इस काम में जुटी हुई है। शकूर कारीगर ने सम्भतः 1900 के आस पास में चैती मेले में दुकान लगाई थी। तब से लगातार उनकी पीढ़ियां मेले में दुकान लगाते आ रहे हैं। कल से चैती मेला शुरू हो रहा है ऐसे में एक बार फिर हलवा पराठा खाने के शौकीनों के चेहरे पर खुशी है।